Thursday, February 19, 2009

prem!

जीवन की सारी स्मृतियाँ, जन्म जन्म की अनुभूतियाँ

क्या इस जन्म के आगे है कोई और जन्म ?

शायद नहीं,

या शायद है अनंत जन्म,

क्या ये सब जी सकते हो, बस इक दो पल के सहारे?

क्या सागर पार कर सकते हो, इक छोटी सी नाव के सहारे? ?


कुछ पल में बने अपने, लम्हे थे या कोई सपने

क्या इससे पहले किया था कभी प्यार ?

शायद नही,

या शायद आज ही किया प्यार का प्रथम आविष्कार

क्या ये सब लम्हे समेट सकोगे, इस नन्हे से ह्रदय में ?

क्या इतनी सारी खुशबू समा सकेगी इक छोटे से गुलाब में??


बीता हुआ कल और आने वाले पल, कुछ भी तो नही था उस पल में,

क्या इसी को बोलते है पूर्ण प्रेम की अनुभूति?

शायद हाँ,

या शायद प्रेम है कुछ और कठिन शास्त्र

क्या इतने कठिन पाठ को जान पाओगे, बस दो पल की अनुभूति से ?

क्या इतनी बड़ी किताब पढ़ पाओगे इक छोटे सी दिए की रोशनी से ??


तुम न मेरे हो, न मैं तुम्हारा,

हमेशा हमेशा का साथ न हो सकेगा हमारा,

क्या सारा जीवन तनहा और दुखी कट पायेगा,

शायद हाँ,

या शायद इसी से हो सकता है जीवन से असल परिचय,

क्या ये पूरी जिंदगी झेल सकोगे बस दो पल के सहारे?

क्या इतनी अँधेरा लुप्त कर सकोगे एक दिए के सहारे? ?


आज हो तुम मेरी बाहों में, तो कल का क्या हे फ़िक्र ?

क्या ऐसा प्रेम फिर नसीब होगा जीवन में?

शायद हाँ, शायद नही

या कुछ और प्रेम भी मिल सके,... कुछ शास्वत और चिरंतन,

क्या इसी से होता है ईश्वर प्रेम का आरम्भ?

क्या इसी से खिलती है जीवन के मरुस्थल में प्रेम की कमल की सुगंध ??

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